की बड़ा ही मुश्किल का वक्त होता है किसी की यादों में जूझना ।
कमबख्त रूलाता बहुत है , कभी खामोश तो कभी मदहोश कर जाता है।
कभी गुमनाम तो कभी खुद में ही दफन कर जाता है।
की कुछ टूटे कांच की तरह होती है यादों का जख्म सिमटो तो भी चुभता है , बिखरे छोड़ दो तो भी चुभता है।
की कितना मुश्किल होता है किसी की यादों में झूझना जख्म दिखता नहीं पर अक्सर आंखों को भीगा जाता है।
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