की आंसू का अब क्या ही कहना, ये तो बे वक़्त बहता है अब।
छलकती जाम में टपककर महफ़िल शोर करता है अब।
कभी समंदर की सुनामी तो , कभी नदी के लहर बन बहता है अब।
की आंसू ही तो है , उनकी यादों में बे वक़्त बहता है अब।
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