बड़ी ज़ालिम है तुम्हारी यादें ,
अक्सर रुलाती है मुझे।
संभलते संभलते कब टूट जाता हूं ।
ये भी पता नहीं चलता है आजकल मुझे।
की बड़ी ज़ालिम है तुम्हारी यादें ,
अक्सर रुलाती है मुझे।
की आंखे नम रखना अब तो आदत सी हो गई है।
मुस्कुराता तो फिर भी हूं।
छलकते जाम की तरह मालूम पड़ता है,
आंखो में आंसू मेरे।
फिर भी तुम्हारी यादों के साथ उलझता तो हूं।
की आज फिर से भिड़ उमड़ी है तुम्हारी यादों का।
आज फिर से आंखों ने सैलाब लाया है।
की सच में बड़ी ज़ालिम होती जा रही है तुम्हारी यादें।
की आज फिर से आंखों ने समंदर बहाया है।
की झिझकता है दिल अब तुम्हारे नाम से भी।
अब दफन होने का वक्त आया है।
की कफन में लिपटा हुआ हूं , अब याद मत आना तुम।
की अब याद मत आना तुम ,
तुम्हारी यादों ने मुझे बहुत रुलाया है।
की चलो अब अलविदा कहता हूं।
अब खुद को दफन ओर तुम्हारी यादों को गुमनाम करता हूं।
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