की वर्षों बाद रातें हुई है ज़िन्दगी में, अब जगाना मत मुझे।
चादर नहीं कफन ओढ़ रखा हूं , चेहरे से अब हटाना मत मेरे।
खुद की कोठरी अब अपना कब्र बना बैठा हूं, कोई पास आना अब मत मेरे।
की कभी याद जो आऊं तो मेरे शरारतें को याद कर मुस्कुरा लेना ।
दरवाजे को खटखटाना ना अब मेरे।
की वो कहते थे की तुम गुम क्यों नहीं जाते हो।
तो अलविदा कहता हूं ।
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