वो अब परदा करती हैं, चांद से ,फूलें शर्मा जया करती हैं उनके छूने से।
यकीन मानो मेरा उनकी मुस्कुराहटें है जो उनकी कातिलाना आदा है।
उनके जो लिलार पे एक छोटी सी तिल है ना वो बिंदी की तरह सजा रखती है उन्हें।
और क्या कहूं उनके नयनों के बारे में देखते ही प्यार सा उठता है दिल के अंदर ।
सच कहूं तो वो कोई नहीं शायद वो जन्नत की हूर है, तारीफों में क्या लिखूं उनके लिए।
सच कहूं तो किसी की दोस्त तो किसी की हमसफ़र बाद में बनेगी वो।
सच कहूं तो वो किसी नसिब्दार पापा की बेटी है वो।
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