वक़्त थोड़ा ठहर जाना एक अफसरा अभी अभी दिल के गलियों से गुजरी है
हल्के हल्के कदम बढ़ा के गुजरी है होटों से मुस्कुराहट और आंखे मिला के गुजरी है।
क्या शिकायत करें हम उनसे जो कातिल हैं इस जमाने के हुर वो हमें कातिल कर आज गुजरी है।
वक़्त थोड़ा ठहर जाना आज तू एक अफ़सरा अभी अभी दिल की गलियों से गुजरी है।
उनकी नादानियां खलने लगी है पता नहीं रात कैसे गुजरेगी।
याद आयेगी वो बहुत पता नहीं उनसे दुबारा मिलना कैसे हो पाएगी।
वक़्त तू थाम के रखना दामन अपना पता नहीं तुम्हारे साथ मेरा आज कैसे गुजरेगी।
मैं नशे में होने लगा हूं मिल के उनसे डगमगा गए कदम तो शराबी कहने का भूल मत कहना।
ये पहली मोहब्बत है साहब दिल संभालु या खुद को ।
इसलिए कह रहा हूं वक़्त को ठहर जाने आज मैं क्यूंकि आज एक अफसरा मेरे दिल के गलियों से गुजरी है।
अगली मुलाकात अभी बाकी है उनसे बाते करना अभी बाकी है।
जो कहा कहती है कभी नयनों से उनके लफ़्ज़ों से बात सुनना बाकी है।
वक़्त थोड़ा ही सही ठहर जाना आज तू क्यूंकि उनसे बात करना कुछ अभी बाकी है।
ये पहली मोहब्बत की सजदा करना बाकी है अभी तो वो हाल ही बता गए हैं अपना उनको मेरा हाल पूछना बाकी है।
वक़्त थोड़ा सा ठहरना उनसे मुलाकात थोड़ा बाकी है।
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