ये मोहब्बत....
लोग कहते हैं कि इसे मोहब्बत में धोखा मिला तभी तो ये इतना दर्द लिख लेता है।
तो साहब मोहब्बत तो दूर की बात ज़िन्दगी बस दो वक़्त की रोटियां तलाशने में गुजर जाती है।
और जहां बात आती है रोटियां की तो मोहब्बत छोड़ ज़िन्दगी रोटियां तलाशने में निकाल जाती है।
और हर दर्द मोहब्बत और ईश्क अल्फाजों का नहीं होता है साहब ...
ये रोटियां तलाशने में वी काफी दर्द झेलने पड़ते हैं और मैं अपनी ज़िन्दगी का कुछ दर्द बया कर देता हूं कभी अल्फाजों में ।
लोग इसे मोहब्बत ना समझे ।
Kitna kuch khone ke bad v log Apne Nahi hote bas kahne Ka hota hai ki ye Apne Hain ... Sikhna hai to khud ke chhye se sikho kahne Ka to wo v hai ki ye Mera chhya hai ...per andhere me to wo v sath chhod jate Hain... Fir koi apna kaise ho Sakta hai jabki khud Ka chhya tak apna Nahi hai ....
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