ये कहानी है उस मोहब्बत की...।
ये कहानी है उस खामोश लड़के की।
खामोशी में बंधा ये मोहब्बत कैसे खामोश रह गया।
खामोशी में वो इस कदर दफन हुआ की उसका मोहब्बत वी साथ साथ दफन हो गया।
ना जीने कि बजह थी.,ना ही कुछ पाने की चाहत ।
बस गुमनाम कहीं खोया सा रहता था।
लोगों से दूर कहीं लाचार बैठा रहता था।
मानो इस कदर जी रहा हो जैसे ज़िंदा लास बन कहीं बैठा हो।
बातों से होती थी कई तकरारे पर लाचार बस खामोश बना रहता था।
आस पास के लोगों से घिरा अपनों से दूर कहीं घर बना बैठा था ।
उसकी खामोशी साफ साफ बया करती थी कि उसका अपना कोई नहीं है।
जिसे वो अपना कहे वो बस सपनों में उसके लिए हुआ करता था।
वजह थी ,एक मोहब्बत ।
जिससे दूर कहीं वो खामोश कब्रो में दफन कर रखा था।
ना कभी किसी से बाते करता ना किसी को वो अपने पास आने देता ।
देखा था मैंने उसे दूर कहीं बैठा था
वो खुद से बाते करता और अपने ही परछायिओ से अपने आप को दूर करने की कोशिश में लगा रहता ।
मानो उसे उजाले से नहीं बल्कि अंधेरों से मोहब्बत सी हो गई हो।
अंधेरों में वो एक चार दिवारी के अंदर अपने गम और आंसुओ के साथ खुद से बाते करते करते अक्सर वो सो जाया करता ।
ये खामोशी के जंजीर में जकड़ा उसका मोहब्बत नहीं तो वो कभी तो आजाद होगा।
पर लाचार बेबस बेचारा आज वी वो खुद गुमनाम सा कहीं बैठा होगा ।
खुद से लड़ता हुआ लोगो से दूर कहीं बैठा होगा ।
देखता होगा वो हर मोहब्बत को सक के नज़र से ।
बस बया करने की हिम्मत ना उसमें है ना मुझमें ।
ए प्यार करने बालों एक गुजारिश है आपसे।
अगर प्यार को सही से निभा नहीं सकते तो ठुकराना वी नहीं।
हर किसी को इतनी हिम्मत नहीं होती कि वो अंधेरों से मोहब्बत कर ले।
और खामोश बन ज़िंदा लाश बन बैठे।
हां ये कहानी है एक खामोश मोहब्बत और एक खामोश अधूरे लड़के की।
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