की तुम मेरी पहली डायरी का वो अल्फ़ाज़ हो, जो हर पन्ने पे नाम छुपा रखा है तेरा। की तुम बस तुम , तुमसे बातें सुरु जो हुई आजतक खत्म ही नहीं हुई । कभी यादों में तो कभी ख्वाबों में , की कभी लिखता डायरी के पन्नों के अल्फाजों में। की कभी पूछता है ,आंखे मेरी अब वो हसीन का दीदार क्यूं नहीं । की रोता है ये दिल बेवजह , बस होटों की मुस्कुराहट आंखों को बरसने की इजाजत देता ही नहीं। की बस तुम हां बस तुम आज याद जो आए हो बस तुम ।
https://www.youtube.com/channel/UCGl94yN9ZLgFegwR5DeUm3g?view_as=subscriber