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नज़रे चूड़ा गए वो

की नजर जो आए एक बार साड़ी नज़रे चूड़ा ले गए वो। नाम पता कुछ मालूम नहीं मुझे अपनी आंखो में इस कदर उलझा गए वो। मैं सोचता रहता था ,की इतनी खूबसूरत और इतनी मासूम कैसे कोई हो सकता है। ख्वाबों में आकर अपनी खूबसरती का पूरा राज बता गए वो। और क्या लिखूं उनकी इस मासूमियत को , कागज पे अपना काजल लगा गए वो।

चलो अब अलविदा कहता हूं।

की वर्षों बाद रातें हुई है ज़िन्दगी में, अब जगाना मत मुझे। चादर नहीं कफन ओढ़ रखा हूं , चेहरे से अब हटाना मत मेरे। खुद की कोठरी अब अपना कब्र बना बैठा हूं, कोई पास आना अब मत मेरे। की कभी याद जो आऊं तो मेरे शरारतें को याद कर मुस्कुरा लेना । दरवाजे को खटखटाना ना अब मेरे। की वो कहते थे की तुम गुम क्यों नहीं जाते हो।  तो अलविदा कहता हूं । बस तुम आंसू बहाना ना कब्र पे मेरे।